चीन की महान दीवार का इतिहास, HISTORY OF THE GREAT WALL OF CHINA IN HINDI


दुनिया के सात अजूबो को देखने का मज़ा ही कुछ अलग है और उससे भी मज़ेदार है उसकी कहानी। चलिए आज हम उनमे से एक अजूबे की बात करते है जिसको “दी ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना” कहा जाता है।
प्राचीन रक्षात्मक वास्तुकला की महान उपलब्धि चीन की दीवार दुनिया की सबसे लंबी दीवार है और इंसानो द्वारा बनाया गया दुनिया का सबसे बड़ा काम है। बीहड़ इलाको में पहाड़ो को चिरती हुई चीन की दीवार के घुमावदार पथ को अगर आप देखोगे तो उसकी खूबसूरती के दृश्यों को देखकर चौकन्ने रह जाओगे।

चीन में इस दीवार को “छांग छंग” के नाम से पुकारते है जो उत्तरी चीन में बनी है। इस दीवार का काम आज से 2300 साल पहले शुरू हुआ था, अलग अलग साम्राज्य ने अलग अलग समय में इस दीवार को बनवाया था, जिसकी लंबाई आज 8,850 किलोमीटर है, यानि की कश्मीर से कन्याकुमारी अगर आप दो बार जाओगे तब भी चीन की दीवार पूरी नहीं होगी। इस दीवार को बनाने का कारण अलग अलग साम्राज्यो ने अपने अपने क्षेत्रीय इलाको की रक्षा के हेतु से बनवाई गई थी पर इसका ज्यादा इस्तमाल माल सामान की हेरा फेरी के लिए हुआ था।
फिर इस दीवार को किसने बनाया और कब बनाया? जिसके एक से ज्यादा जवाब है।

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इसा पूर्व 720-221 के समय दरमियान इस दीवारों का निर्माण झोउ राजवंश ने किया। इसा पूर्व 221-207 में चीन की उत्तरी सिमा पर इस दीवारों का निर्माण किन राजवंश ने किया। उसके बाद हान राजवंश ने दीवार को आगे बढ़ाया, फिर साल 1368-1644 बिच मिंग राजवंश ने पुनःनिर्माण किया।
इस दीवार का निर्माण आक्रमणो से बचने के लिए और सिल्क रोड़ व्यापर की रक्षा के लिए किया गया था। इस दीवार को खून, पसीना और आँसुओ के साथ बनाया गया था। कितने परिवार अलग हो गए थे और कई कारीगरों की मौत हो चुकी थी, जितने कारीगरों की मौत हुई थी उन सबको इसी दीवार के निचे दफनाया गया था और जो कारीगर ठीक से काम नहीं करते थे उन्हें भी मारकर इस दीवार के निचे दफनाया जाता था शायद इसीलिए इस दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहते है क्योकि वहा पर 3000 लोगो की लाशे दबी पड़ी है। 20 से 30 लाख लोगो ने अपने पूरा जीवन लगा दिया तब जाकर यह दीवार बनी है।
इस दीवार को पत्थर, रेती, इट और मिट्टी से बनाया गया है जिसे हाथ, रस्सी, बकरी और गाड़ी के जरिये दीवार तक लाया जाता था। दीवार की वर्तमान स्थिति थोड़ी ख़राब है, आज कुछ 30% दीवाल का हिस्सा नष्ट हो चूका है, पर अब चीनी सरकार ने दीवार को बचाने के लिए अच्छे कदम भी उठाये है।

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दीवार की लंबाई 19 फ़ीट है और चौड़ाई 21 फ़ीट है, जिसपर 5 घोड़े सवार एक साथ चल सकते है। दीवाल की ऊंचाई हर जगह एक जैसी नहीं है, कुछ जगह पर उसकी ऊंचाई 8-9 फ़ीट है तो कुछ जगह पर 35 फ़ीट तक की है। चीन की दीवार को चीनी पौराणिक कथाओ और लोकप्रिय प्रतीकों में शामिल किया गया है और 20 वीं सदी में इसे राष्टीय प्रतिक के रूप में माना जाता है।
इस दीवार के कुछ हिस्से आपस में जुड़े हुए नहीं है। दीवार का सांस्कृतिक महत्त्व होने के बावजूद भी कई बार रोडवे के लिए दीवार को बिच बिच में गिराया गया था। कुछ कुछ जगहों पर छोटे छोटे हिस्सो को गिराकर उसे फिर से बनाया गया है। आज यह दीवाल कई जगहों पर टूट चुकी है, दुनिया भर से आने वाले टूरिस्ट से भी दीवाल को काफी नुकशान हुआ है।
कहते है कि दुनिया में यह एक ऐसी मानव कृति है जो चाँद से भी देखी जा सकती है। यूनेस्को ने साल 1987 में इस दीवाल को विश्व की धरोहरों की शुचि में शामिल किया था।