हिटलर ने नहीं की थी आत्महत्या, ब्राज़ील में 95 साल की उम्र में हुई थी मौत!
जब हमें किसी खड़ूस, निर्दयी एवं बेरहम इंसान को अपनी मर्ज़ी से एक नाम देकर पुकारना हो तो हम उसे हिटलर’ कहकर बुलाते हैं। ऑफिस में अपने बॉस या स्कूल के खड़ूस टीचर को विद्यार्थी हिटलर कहकर बुलाते हैं। क्यों? क्योंकि वे उन्हें पसंद नहीं? क्योंकि वे लोग अपने फैसले उन पर थोपते हैं? सिर्फ इतना ही कारण है?
शायद हां... लेकिन लोगों को मिलने वाला यह हिटलर नाम उनका अपना नहीं है। यह एडोल्फ़ हिटलर का, एक ऐसी शख़्सियत जिनका नाम सुनकर ही उस ज़माने में अच्छे-अच्छे लोगों की टांगें कांपने लगती थीं। एडोल्फ़ हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता एवं तानाशाह थे। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (एनएसडीएपी) के नेता थे।
हिटलर काफी तेज़ तर्रार, रूखे स्वभाव वाला एवं निर्दयी इंसान माना जाता था। उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार भी माना जाता है। हिटलर के जीवन से जुड़े कई रहस्य हैं, जिन्हें इतिहासकारों ने समय-समय पर सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन एक रहस्य शायद कोई नहीं जानता, वह है हिटलर की मौत का रहस्य।
ऐसा माना जाता है कि जब रूसियों ने बर्लिन पर आक्रमण किया तो हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945 को आत्महत्या कर ली। लेकिन एक नाज़ी पत्रकार के मुताबिक तब हिटलर की मौत कतई नहीं हुई थी, बल्कि हिटकर की मौत 95 साल की उम्र में ब्राज़ील में हुई थी।
इस नाज़ी पत्रकार के अनुसार अपने शत्रुओं से बचते हुए हिटलर अर्जंटीना के रास्ते पैराग्वे आए थे। इस बीच उन्होंने ब्राज़ील में कुछ समय एक अनजान जगह पर, एक छोटे से क्षेत्र में निवास भी किया जहां उन्हें जानने-पहचानने वाला कोई नहीं था। क्योंकि यहां वे अपने असली नाम से नहीं जाने जाते थे।
उन्होंने खुद को एडोल्फ़ लीपज़ेग बताया था, क्षेत्र में रहने वाले सभी लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे और नहीं जानते थे कि वे कहां से आए हैं। बस उनकी नजर में एडोल्फ़ का संबंध जर्मनी से था और वह शायद वहीं से आया था लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि असल में यह इंसान कौन है।
हिटलर की मौत के रहस्य से पर्दा उठाती एक किताब में उनकी एक तस्वीर भी प्रकाशित की गई है। जिसमें वे काफी प्रसन्न हैं और अपनी ब्लैक गर्लफ्रेंड के साथ फोटो क्लिक करवा रहे हैं। यह तस्वीर उनकी असल मृत्यु तिथि से तकरीबन 2 वर्ष पहले की है। उनकी गर्लफ्रेंड का नाम क्यूतिंगा बताया गया है।
हिटलर की ब्राज़ील में गुज़री ज़िंदगी एवं मौत पर आधारित किताब को सिमोनी डायस नामक एक महिला द्वारा लिखा गया है, जो यह दावा करती हैं कि हिटलर ने अपने जीवन का एक लंबा अरसा ब्राज़ील में गुज़ारा। यहां उन्होंने अपनी प्रेमिका के साथ जीवन बिताया और अपनी प्रेमिका के प्रयोग से ही अपनी असल पहचान को छुपाकर रखा।
सिमोनी इस बात को मानने से इनकार नहीं करती कि हिटलर ने बर्लिन पर हुए आक्रमण के दौरान खुद को गोली मारी थी। लेकिन हिटलर की मौत पर करीब 2 वर्षों तक शोध करने के बाद उनके हाथ ऐसे कई सुबूत लगे जो यह दर्शाते हैं कि हिटलर मरे नहीं थे।
सबसे पहला सुबूत वह डीएनए टेस्ट है जो हिटलर के मौजूदा संबंधियों की मदद से किया गया था। वह साबित करता है कि 95 वर्ष की आयु पूरी करके शांति की मौत सोने वाला एडोल्फ़ लीपज़ेग ही हिटलर था। दूसरा कारण जो सिमोनी के शक़ को यकीन में बदलता दिखाई दिया, वह था एडोल्फ़ द्वारा ‘लीपज़ेग’ सरनेम का प्रयोग करना।
हिटलर के एक करीबी ‘बाच’ का जन्म स्थान था लीपज़ेग, शायद इसलिए उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए इसी सरनेम का प्रयोग किया। तीसरा और सबसे अहम सुबूत सिमोनी को तब हासिल हुआ जब उन्होंने नाज़ी पत्रकार द्वारा प्रस्तुत की गई उस तस्वीर को हिटलर की असल तस्वीर से मिलाकर देखा।
अपनी असल तस्वीर में हिटलर की मूंछें थीं, इसलिए सिमोनी ने पहले उन मूंछों को उस तस्वीर से हटाया और नाज़ी पत्रकार की उस तस्वीर से मिलाया था वह अचंभित रह गईं। दोनों तस्वीरें काफी हद तल मेल खा रहीं थी। इन तीन वाक्यों के बाद सिमोनी को यह यकीन हो गया कि एडोल्फ़ लीपज़ेग ही एडोल्फ़ हिटलर है।
सिमोनी द्वारा लिखी गई इस किताब ‘हिटलर इन ब्राज़ील: हिज़ लाइफ एंड हिज़ डेथ’, पर कई शोधकर्ताओं ने विभिन्न सवाल उठाए। इस किताब को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई गई है जो लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई।
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