रविवार, 16 फ़रवरी 2020

--चुम्बक क्या होती है और यह कितने प्रकार की होती है--

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चुंबक एक ऐसा पदार्थ है जो कि लोहा और चुंबकीय पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है वह चुंबक कहलाता है. अगर आपके पास कोई चुंबक का टुकड़ा है और आप उसे अगर किसी लोहे के पास लेकर जाते हैं तो वह उसके साथ में बहुत आसानी से चिपक जाता है. लेकिन अगर चुंबक ज्यादा बड़ी है तो वह और ज्यादा मजबूती से लोहे के साथ या दूसरी किसी चुंबकीय पदार्थ के साथ में चिपक जाता है. चुंबक का यही गुण इसे खास बनाता है|

आज के समय में चुंबक का इस्तेमाल हर जगह किया जा रहा है जहां पर भी हमें किसी वस्तु को चुंबकीय बल द्वारा उठाना पड़ता है. वहां पर चुंबक का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा स्पीकर बनाने के लिए भी चुंबक का इस्तेमाल किया जाता है. अगर आपने किसी स्पीकर को खोलकर देखा है तो उसके अंदर आपको एक गोल चुंबक देखने को मिलती है. तो इसी प्रकार चमक का इस्तेमाल कई वस्तुओं में किया जाता है. चुंबक के बारे में हमें स्कूल के समय से ही पढ़ाया जाता है लेकिन जैसे-जैसे हम आगे पढ़ाई करते हैं. चुंबक के बारे में और ज्यादा जानकारी हमें पढ़ने को मिलती है. अगर आप इंजीनियरिंग क्षेत्र में जा रहे हैं तो आप को चुंबक के बारे में जानकारी होनी चाहिए. आज इस पोस्ट में हम आपको चुंबक से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करेंगे|
                                                       ←  चुंबक की खोज किसने की→

चुंबक का इतिहास बहुत पुराना है सबसे पहले यह एशिया के एक प्रदेश मैग्नीशिया में पाया गया था. वहां पर चुंबक गहरे गोरे और काले रंग में कच्ची धातु के रूप में पाया गया था. इसे वहां पर मैग्नेटाइट नाम से बुलाया जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर मैग्नेट यानी कि चुंबक रख दिया गया. चुंबक द्वारा दूसरे चुंबकीय पदार्थ और लोहे की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने के गुण को चमकता कहते हैं|
चुंबक की एक खास बात होती है कि अगर इसे किसी लोहे या चुंबकीय पदार्थ पर काफी समय तक रगड़ा जाए तो उस लोहा या चुंबकीय पदार्थ में भी चुंबक के गुण आ जाते हैं. लेकिन यह चुंबकीय गुण उस धातु में ज्यादा समय तक नहीं रहते. चुंबकीय गुण को किसी भी लोहे या धातु में स्थाई रूप से रखने के लिए उसे एक विशेष प्रकार से लोहे पर रगड़ा जाता है. और उसके बाद में ही लोहे में स्थाई चुंबकीय गुण आ सकते हैं|
अगर चुंबक को हवा में स्वतंत्र रूप से लटकाया जाए तो इसका एक सिरा उत्तर दिशा की ओर होगा और दूसरा सिरा दक्षिण दिशा की ओर होता है .जो शिरा उत्तर दिशा की ओर होगा वह चुंबक का उत्तरी ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव होता है. इसीलिए इसका इस्तेमाल समुंदर में बहुत ही आसानी से दिशा का पता लगाने के लिए किया जा सकता है|
                                                            ← चुंबक के प्रकार→
Type Of Magnet In Hindi : चुंबक का इस्तेमाल कई वस्तुओं में और कई जगह पर किया जाता है इसीलिए चुंबक अलग-अलग प्रकार से बनाए जाते हैं. और कुछ चुंबक हमें प्राकृतिक रूप से भी मिलते हैं. इसीलिए चुंबक दो प्रकार के होते हैं.
1. प्राकृतिक चुंबक (Natural Manget )
2. कृत्रिम चुंबक (Artificial Manget)
                                                                       1. ←प्राकृतिक चुंबक →
प्राकृतिक चुंबक खदानों में खुदाई करके प्राप्त किया जाता है. कुछ विद्वानों के अनुमान के अनुसार सबसे पहले प्राकृतिक चुंबक एशिया के मैग्नीशिया शहर में पाया गया था. उस समय यह कच्ची धातु के रुप में पाया गया था और इस कच्ची धातु को Load Stone के नाम से जाना जाता था. लोहे तथा दूसरे चुंबकीय पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करने के कारण इसका नाम मैग्नेटाइट रखा गया और बाद में इसे मैग्नेट का नाम दिया गया|

                                                                       2.← कृत्रिम चुंबक→
जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है,कृत्रिम चुंबक मानव द्वारा बनाया गया एक बनावटी चुंबक होता है .जिसमें प्राकृतिक चुंबक के मुकाबले कहीं ज्यादा शक्ति होती है. लेकिन कृत्रिम चुंबक भी बनावट के आधार पर दो प्रकार के होते हैं|
स्थाई चुंबक (Permanent Magnet)→
ऐसी चुंबक जिसमें चुंबक था हमेशा के लिए बनी रहती है उसे स्थाई चुंबक कहा जाता है. स्थाई चुंबक बनाने के लिए स्टील कार्बन स्टील तथा कोबाल्ट जैसी धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है. स्थाई चुंबक अलग-अलग आकार में बनाई जाती है जिनका इस्तेमाल अलग-अलग वस्तुओं और जगह पर किया जाता है.
अस्थाई चुंबक (Temporary Magnet)→
ऐसी चुंबक जिसकी चमकता तब तक रहती है .जब तक उस पर चुंबकीय बल लगा रहता है. जैसे ही चुंबकीय बल हटा लिया जाए तो उसकी चमकता खत्म हो जाती है. इस प्रकार की चुंबक अस्थाई चुंबक या इलेक्ट्रो मैगनेट कहलाती है. इस प्रकार की चुंबक लोहे या स्टील की रोड पर तांबे की तार लपेट कर उसमें करंट प्रवाह करके बनाई जाती है.इस प्रकार की चुंबक का इस्तेमाल विद्युत घंटी, बजर ,मोटर इत्यादि में किया जाता है|
                                                             ←चुंबक बनाने की विधि→

जैसा की हमने पहले बताया कृत्रिम चुंबक मानव द्वारा बनाई जाती है .और चुंबक बनाने के दो मुख्य तरीके होते हैं|
     1. स्पर्श विधि (Touch Method) :  इस तरीके में जिस भी छड़ को चुंबक बनाना होता है उसे एक समतल मेज पर रख दिया जाता है और उस पर चुंबक को घुमाया जाता है. और चुंबक के सिरे उस छड़ पर रगड़े जाते हैं. इस क्रिया को बार बार करने से चुंबक के गुण उस छड़ में चले जाते हैं. और इस प्रकार वह छड़ भी चुंबक की तरह काम करने लगती है|

2. इलेक्ट्रिकल करंट विधि (Electrical Current Method) : जब किसी लोहे के टुकड़े या छड़  पर तारों को लपेट कर उन तारों में से करंट को प्रभात किया जाता है तो वह लोहे का टुकड़ा चुंबक बन जाता है.   इस लोहे के टुकड़े में चुंबकीय गुण तब तक रहेंगे जब तक कि उस तार में करंट प्रवाह होता रहेगा जैसे ही करंट का प्रवाह बंद होगा. यह लोहे की छड़ अपने चुंबकीय गुण को खो देगी. इस प्रकार की चुंबक को इलेक्ट्रोमैग्नेट कहते हैं | इस प्रकार की चुंबक का इस्तेमाल मोटर, पंखे ,इलेक्ट्रिक उपकरण, इत्यादि में किया जाता है|
चुंबक में बहुत सारे गुण होते हैं. चुंबक लोहे तथा दूसरे चुंबकीय पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करती है. चुंबक के दो ध्रुव होते हैं एक उत्तरी और दूसरा दक्षिणी ध्रुव|
अगर चुंबक को स्वतंत्रता पूर्वक लटकाया जाए तो इसका एक गिरोह उत्तर दिशा में होगा और दूसरा ध्रुव दक्षिण दिशा में होगा और इसी गुण की मदद से कहीं पर भी हम दिशा का पता लगा सकते हैं.
चुंबक के दोनों ध्रुवों की ताकत एक समान होती है. अगर चुंबक के कई टुकड़े कर दिए जाएं तो इसके सभी टुकड़ों में इसके गुण होंगे| और इनके किसी भी टुकड़े से इसके दोनों ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता|
लेकिन चुंबक की 1 हानि भी होती है अगर चुंबक को ऊंचाई से गिराया जाए या इस पर चोट मारी जाए या चुंबक को गर्म कर दिया जाए तो यह अपने चुंबकीय गुण को खो देती है|

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