गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

ट्रांसफार्मर क्या है; भाग, कार्य सिद्धांत, प्रकार – Transformer in Hindi

ट्रांसफार्मर क्या है; भाग, कार्य
सिद्धांत, प्रकार – Transformer in Hindi------


होम थिएटर हो या एम्पलीफायर, स्टेबलाइजर हो या चार्जर, यूपीएस हो या इन्वर्टर लगभग सभी प्रकार के उपकरणों में आपने ट्रांसफार्मर (Transformer in HIndi) लगा हुआ देखा होगा। हो सकता है कि आपने transformer के इस्तेमाल से अपना कुछ प्रोजेक्ट भी बनाया होगा और खराब ट्रांसफार्मर को बदलकर उसके जगह पर नया ट्रांसफार्मर भी लगाया होगा।

ट्रांसफार्मर एक ऐसा इलेक्ट्रिकल यन्त्र है जो किसी भी वैल्यू के AC volt को उससे कम या ज्यादा किसी भी वैल्यू के ac volt में बदल सकता है। आसान शब्दों में कहें तो ट्रांसफार्मर एक “एसी वोल्ट कनवर्टर” यन्त्र है। ट्रांसफार्मर को हिंदी में परिणामित्र भी कहा जाता है अर्थात ट्रांसफार्मर का हिंदी नाम परिणामित्र होता है। इसके इस्तेमाल से निम्नलिखित काम किये जा सकते हैं।


होम थिएटर हो या एम्पलीफायर, स्टेबलाइजर हो या चार्जर, यूपीएस हो या इन्वर्टर लगभग सभी प्रकार के उपकरणों में आपने ट्रांसफार्मर (Transformer in HIndi) लगा हुआ देखा होगा। हो सकता है कि आपने transformer के इस्तेमाल से अपना कुछ प्रोजेक्ट भी बनाया होगा और खराब ट्रांसफार्मर को बदलकर उसके जगह पर नया ट्रांसफार्मर भी लगाया होगा।



  1. किसी भी वोल्ट के एसी करंट को उससे ज्यादा किसी भी वोल्ट के AC सप्लाई में बदला जा सकता है। अर्थात, ट्रांसफार्मर के द्वारा लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है।
  2. किसी भी वोल्ट के ac सप्लाई को उससे कम किसी भी लो वाल्ट के AC current में बदला जा सकता है। अर्थात, ट्रांसफॉमर के द्वारा high volt को low volt में बदला जाता है।
*ऊपर हमने Transformer in Hindi का जो परिभाषा दिया है उसमें सिर्फ एसी करंट की ही चर्चा की गयी है, इसलिए शायद आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि क्या ट्रांसफार्मर डीसी सप्लाई पर वर्क नहीं करता है! क्या ट्रांसफार्मर सिर्फ एसी सप्लाई पर ही वर्क करता है|
यदि आपके मन में ट्रांसफार्मर के बारे में इस तरह का सवाल हो तो आपके लिए ये बात जान लेना बहुत ही जरूरी है कि transformer सिर्फ-और-सिर्फ AC पर ही काम कर सकता है। इसका इनपुट भी एसी होगा और आउटपुट भी एसी ही होगा।
*यदि आप इसका इस्तेमाल DC पर करना चाहेंगे तो इसके लिए सबसे पहले आपको DC supply को एक अलग सर्किट की सहायता से एसी में बदलना होगा और इसी AC करंट से ट्रांसफार्मर को इनपुट सप्लाई देना होगा।
*ट्रांसफार्मर में क्वाइल ही उसका मुख्य भाग होता है। Transformer in Hindi के क्वाइल में ही इनपुट एसी सप्लाई दिया जाता है और क्वाइल से ही आउटपुट एसी सप्लाई प्राप्त भी किया जाता है। किसी भी transformer में मुख्य रूप से निम्नलिखित 2 प्रकार का कोइल इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों क्वाईल के कम-से-कम 2-2 छोर होते हैं अर्थात इनमें से हरेक में से कम-से-कम 2-2 तार निकले हुए होते हैं।

i) Primary coil: ट्रांसफार्मर में प्राथमिक कोइल का क्या काम है?

ट्रांसफार्मर के जिस क्वाइल के दोनों तार पर इनपुट एसी करंट का सप्लाई देते हैं उसे प्राइमरी कोइल कहा जाता है। ट्रांसफार्मर में प्राइमरी क्वाइल का प्रतिरोध सबसे ज्यादा होता है। साथ ही प्राइमरी क्वाइल के बाईंडिंग में इस्तेमाल किया गया तार भी पतला होता है।

ii) Secondary coil: ट्रांसफार्मर में द्वितीय क्वाइल का क्या काम है?

ट्रांसफार्मर के जिस कोइल के दोनों तार से आउटपुट एसी करंट का सप्लाई प्राप्त किया जाता है उसे सेकेंडरी क्वाइल कहा जाता है। सेकेंडरी कोइल का प्रतिरोध प्राइमरी कोइल के प्रतिरोध की तुलना में कम होता है। साथ ही सेकेंडरी कोइल के बैंडिंग में इस्तेमाल किया गया तार भी प्राइमरी क्वाइल के अपेक्षा मोटा होता है।
*ट्रांसफार्मर का एक coil इनपुट और दूसरा coil आउटपुट के लिए होता है लेकिन यदि आप ट्रांसफार्मर के बारे में पहली बार जान रहे हैं तो आपको ये बात जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि इन दोनों क्वाइल का आपस में किसी भी प्रकार का कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं होता है।
कहने का तात्पर्य ये है कि इनके दोनों क्वाइल बिलकुल ही अलग-अलग होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कोई भी 2 मोबाइल फोन अलग-अलग होते हैं और उनका आपस में किसी भी तरह का कोई electrical connection नहीं होता है।
यदि आप ये बात पहली बार जान रहे हैं तो शायद आप भी आश्चर्यचकित हो सकते हैं और ये सब आपको मैजिक जैसा लग रहा होगा। लेकिन हम आपको बता देना चाहेंगे कि इसमें आश्चर्य करने जैसी कोई बात नहीं है। सबसे पहले तो आपको ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत जान लेना चाहिए कि आखिर ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है या ये किस सिद्धांत पर आधारित है।
दरअसल transformer in Hindi, म्यूच्यूअल इंडक्शन (Mutual inductance) पर आधारित है और ये इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। म्यूच्यूअल इंडक्शन के बारे में हम एक डिटेल्ड पोस्ट लिखेंगे जिसमें इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जायेगी। तब तक आप इतना समझ सकते हैं कि ट्रांसफार्मर मैग्नेटिक या चुम्बकीय तरंगों पर कार्य करता है।


उदाहरण के लिए, जिस तरह से 2 स्मार्टफोन का आपस में कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं होता है लेकिन फिर भी वे आपस में Hotspot और Wi-fi कनेक्शन के माध्यम से आपस में कनेक्ट हो जाते हैं ठीक उसी तरह से एसी सप्लाई दिए जाने के बाद ट्रांसफार्मर के दोनों क्वाइल भी चुम्बकीय गुणों की वजह से आपस में बिना किसी इलेक्ट्रिकल कनेक्शन के सिर्फ तरंग के माध्यम से जुड़ जाते हैं जिस वजह से उससे आउटपुट सप्लाई मिलने लगता है।
*ट्रांसफार्मर के क्वाईल की बाईंडिंग एक खोखले और कुचालक सतह पर की जाती है।
*खोखले सतह पर प्राइमरी कोइल की बैंडिंग पूरा हो जाने के बाद सेकेंडरी कोइल की वाइंडिंग शुरू करने से पहले, primary coil के वाइंडिंग को एक बेहद ही मजबूत पेपर (इंसुलेटेड शीट) से अच्छे से ढँक दिया जाता है ताकि दोनों कोइल किसी वजह से आपस में शार्ट न हो जाये।
*प्राइमरी क्वाइल की वाइंडिंग पूरा होते ही उसे इस पेपर से अच्छी प्रकार से पैक कर दिया जाता है जिससे दोनों क्वाइल के बीच डायरेक्ट इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं हो पाता है। इसके बाद जब सेकेंडरी क्वाइल की वाइंडिंग भी पूरी हो जाती है तब सबसे अंत में एक इस क्वाईल को भी इस पेपर से अच्छी तरह से पैक कर दिया जाता है ताकि कोर और क्वाइल के बीच इलेक्ट्रिकल कनेक्शन न बने।
इस पेपर की खासियत ये होती है कि ये अधिक तापमान में भी जल्दी नहीं जलता है। ट्रांसफार्मर और उसका क्वाइल चाहे कितना भी गर्म क्यों न हो जाए ये पेपर बहुत हद तक उस तापमान को बर्दाश्त कर लेता है और जलता नहीं है। इस वजह से ट्रांसफार्मर के दोनों क्वाईल आपस में शोर्ट नहीं हो पाते हैं।
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4) कोर: ट्रांसफार्मर में कोर का क्या काम है?-----

ट्रांसफार्मर में चिकनी सतह और सुचालक धातु (सामान्यतः स्टील) का कोर लगाया जाता है जो कि सामान्य रूप से E और l टाइप का होता है। बहुत सारे कोर को जब transformer के खोखले भाग में अच्छे से टाइट करके भर दिया जाता है तब ट्रांसफार्मर पूरा हो जाता है और ये इस्तेमाल करने लायक बन जाता है। हालांकि विभिन्न तरह के transformer में विभिन्न तरह के कोर (E और I टाइप से अलग) का इस्तेमाल किया जाता है।
Transformer Cores
इसी कोर की वजह से ट्रांसफार्मर के प्राइमरी और सेकेंडरी क्वाईल के बीच चुम्बकीय कनेक्शन बन पाता है और बिना किसी आपसी सम्बन्ध के प्राइमरी क्वाईल से आउटपुट सप्लाई मिल पाता है। यदि बिना कोर के ही, ट्रांसफार्मर के क्वाईल में सप्लाई दे दिया जायेगा तो वो तुरंत ही जल जायेगा।
**ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं?**
इस्तेमाल के आधार पर निम्नलिखित 3 प्रकार से ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण किया गया है। अर्थात transformer निम्नलिखित 3 प्रकार का होता है…

1) उच्चाई ट्रांसफार्मर: Step up transformer in Hindi------

जिस ट्रांसफार्मर से लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है उसे स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप अप transformer के प्राइमरी कोइल की अपेक्षा सेकेंडरी क्वाइल में अधिक टर्न की वाइंडिंग की होती है।
Step up transformer
स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल अधिकांशतः बैटरी इन्वर्टर में किया जाता है जिस वजह से इसे इन्वर्टर ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है। साथ ही step up transformer को उच्चायी ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है।

2) अपचायी ट्रांसफार्मर: Step down transformer in Hindi----

जिस transformer के माध्यम से हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में बदला जाता है उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी क्वाइल की अपेक्षा प्राइमरी क्वाइल की वाइंडिंग में ज्यादा टर्न होते हैं।
Step down transformer
किसी भी बैटरी के चार्जर, होम थिएटर और एलिमिनेटर में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल देखा जा सकता है। इस ट्रांसफार्मर को हिंदी में अपचायी ट्रांसफार्मर कहा जाता है।

3) **ऑटो ट्रांसफार्मर: Auto Transformer in Hindi**

जिस transformer से स्टेप अप ट्रांसफार्मर और स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर दोनों का काम एक साथ लिया जा सके उस transformer को ऑटो ट्रांसफार्मर कहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ऑटो ट्रांसफार्मर से लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में भी बदला जा सकता है और हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में भी बदला जा सकता है।
Auto transformer in Hindi में प्राइमरी क्वाइल और सेकेंडरी क्वाइल की जगह पर सिर्फ एक ही क्वाइल लगाया जाता है और उसी क्वाइल से बहुत सारा कनेक्शन वायर निकाल दिया जाता है।
Auto transformer
इतने तार में से एक तार को कॉमन रखा जाता है और बाकी के बचे हुए तार में से 2 तार लिया जाता है जिसमें एक में इनपुट और एक में आउटपुट का कनेक्शन किया जाता है। किसी भी सर्किट के जरूरत के अनुसार ऑटो ट्रांसफार्मर में कॉमन, प्राइमरी और सेकेंडरी तार का चुनाव किया जाता है। ऑटो ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल स्टेबलाइजर और यूपीएस में देखा जा सकता है।
****ट्रांसफार्मर में इनपुट और आउटपुट वोल्टेज (और करंट) की लिमिट क्या होती है?****

जिस प्रकार से किसी भी व्यक्ति के काम करने की एक क्षमता होती है ठीक उसी प्रकार से ट्रांसफार्मर के इनपुट और आउटपुट की भी एक क्षमता होती है। यदि आप किसी ट्रांसफार्मर के क्षमता से ज्यादा उस पर लोड दे देंगे तो वो जलकर खराब हो जायेगा।

**ट्रांसफार्मर में इनपुट वोल्टेज की लिमिट क्या होती है?**

किसी भी ट्रांसफार्मर में कितना वोल्ट इनपुट देना होता है और कितना वोल्ट आउटपुट लेना है इसी बात को ध्यान में रखकर तभी कोई transformer in Hindi तैयार किया जाता है। आमतौर पर रिपेयरिंग के कामों में इस्तेमाल किए जानेवाले ट्रांसफार्मर में 220V एसी का सप्लाई दिया जाता है।
उद्दहरण के लिए, यदि आपको किसी ट्रांसफार्मर में 1000V का सप्लाई देना है तो आपको transformer बनाने वाले मैकेनिक से संपर्क करना होगा क्योंकि आमतौर पर ऐसा ट्रांसफार्मर मार्केट में उपलब्ध नहीं होता है।

***ट्रांसफार्मर में आउटपुट वोल्टेज की लिमिट क्या होती है?***

ट्रांसफार्मर का आउटपुट वोल्टेज आपके जरूरत के अनुसार निर्भर करता है। यदि आपको 12V की जरूरत है तो आप 12 वोल्ट का transformer खरीदिये, यदि इससे अलग किसी वोल्ट की जरूरत है तो उतने वोल्ट का ही ट्रांसफार्मर खरीदिये जितने की आपको जरूरत हो।

----**ट्रांसफार्मर में आउटपुट करंट की क्या लिमिट है?**----

जिस प्रकार से आप अपने जरूरत के आउटपुट वोल्ट का ट्रांसफार्मर खरीद सकते हैं ठीक उसी प्रकार से आप अपने जरूरत के आउटपुट करंट के लिए भी transformer खरीद सकते हैं। यदि आपकी जरूरत सिर्फ 2 एम्पेयर करंट की है तो आप 2 एम्पेयर का ट्रांसफार्मर खरीद सकते हैं।
लेकिन यदि आपकी जरूरत इससे ज्यादा या कम करंट की है तो उतने करंट का ही transformer खरीदें जितने की आपको जरूरत हो। यदि आप कम आउटपुट करंट वाले ट्रांसफार्मर पर ज्यादा करंट के सर्किट का लोड दे देंगे तो आपका ट्रांसफार्मर जल जाएगा।
सीधे शब्दों में कहें तो transformer की कोई लिमिट नहीं होती है। ये आप पर निर्भर करता है कि आपको कितने वोल्ट और कितने एम्पेयर के ट्रांसफार्मर की जरूरत है।
----------ट्रांसफार्मर की कीमत कितनी होती है?--------
सामान्यतः किसी भी ट्रांसफार्मर की कीमत उसके इनपुट वोल्टेज और आउटपुट करंट पर निर्भर करती है। Transformer in Hindi चाहे 12v आउटपुट का हो या 18v का या 24v,का, यदि सभी का आउटपुट करंट बराबर एम्पेयर में है तो सभी का रेट भी लगभग बराबर ही होगा।
आमतौर पर मध्यम क्वालिटी के 1 एम्पेयर transformer की कीमत 100 रूपये, 1.5a ट्रांसफार्मर की कीमत 125 रूपये, 2 एम्पेयर transformer की कीमत 150 रूपये होती है। इसी प्रकार से आप जितने ज्यादा एम्पेयर का ट्रांसफार्मर लेंगे उसकी कीमत बढ़ती जायेगी। साथ ही, 200w के ऑटो ट्रांसफार्मर की कीमत 250 रूपये और 300w के auto transformer की कीमत 300 रूपये होती है। (ये रेट मैं अपने यहाँ के मार्किट के आधार पर बता रहा हूँ.)


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